केंद्र सरकार आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले CAA को देश में लागू कर सकती है। इसकी तमाम तैयारियां कर ली गई हैं और आचार संहिता से पहले इसका नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है। ऐसे में इसका विरोध भी बड़े स्तर पर देश में देखने को मिलता है। आइये जानते हैं आखिर CAA क्या है और इसका विरोध क्यों किया जाता है।
क्या है CAA?
CAA यानी नागरिक संसोधन कानून 2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया है। पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था। इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल के लिए किया गया है। यानी इन तीनों देशों के ऊपर उल्लिखित छह धर्मं के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। आसान शब्दों में समझें तो भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है।
कौन है अवैध प्रवासी?
नागरिकता कानूना, 1955 के मुताबिक अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती है। इस कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा के बगैर घुस आए हों या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आएं हो लेकिन उसमें उल्लिखित अवधि से ज्यादा समय यहां रुक जाएं।
अवैध प्रवासियों के लिए क्या है प्रावधान?
अवैध प्रवासियों को या तो जेल में रखा जाता है या फिर उनके देश वापस भेज दिया जाता है। लेकिन केंद्र सरकार ने साल 2015 और 2016 में उपरोक्त 1946 और 1920 के कानूनों में संशोधन करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और क्रिस्चन को छूट दे दी है। इसका मतलब यह है कि इन धर्मों से संबंध रखने वाले लोग अगर भारत में वैध दस्तावेजों के बगैर भी रहते हैं तो उनको न तो जेल में डाला जाएगा और न ही उनको निर्वासित किया जा सकता है। यह छूट उपरोक्त धार्मिक समूह के उनलोगों को प्राप्त है जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत पहुंचे हैं। इन्हीं धार्मिक समूहों से संबंध रखने वाले लोगों को भारत की नागरिकता का पात्र बनाने के लिए नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 संसद में पेश किया गया था।
2019 में संबंधित विधेयक को मंजूरी
आपको बता दें कि संसद ने दिसंबर 2019 में संबंधित विधेयक को मंजूरी दी थी और बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इसके विरोध में देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे। सीएए को लेकर देश में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली थीं। कई राजनीतिक दलों ने भी इसका विरोध किया था। इस वजह से सरकार ने रूल्स फ्रेम करने में देरी की थी पर अब सीएए रूल्स का नोटिफिकेशन होम मिनिस्ट्री ने जारी करने की पूरी तैयारी कर ली है