नगर निगम का एक और घोटाला आया सामने, ऐसे हुआ खुलासा

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नगर निगम देहरादून इन दिनों चर्चाओं का विषय बना हुआ है। बीते दिनों सामने आए करोड़ों के घोटाले के बाद अब नगर निगम देहरादून का एक और कारनामा सामने आया है। बीते पांच सालों में नगर निगम में घर-घर कूड़ा उठान के आंकड़ों को लेकर निगम के अधिकारी खेल करते रहे।

नगर निगम देहरादून के अधिकारी शासन के साथ ही कोर्ट में भी दून के सौ वार्डों में 94 प्रतिशत घरों से कूड़ा उठान का दावा कर रहे थे। लेकिन इस दावे की पोल तब खुल गई जब नगर निगम प्रशासिका जिलाधिकारी सोनिका सिंह के निर्देशों पर जमीनी सर्वे किया गया। इस सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस सर्वे में सामने आया कि किसी वार्ड से बीस तो किसी से दस प्रतिशत घरों से ही नियमित रूप से कूड़ा उठान हो रहा है।

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बता दें कि नगर निगम देहरादून ने 98 वार्डों से घर-घर कूड़ा उठान की जिम्मेदारी वाटर ग्रेस, ईकॉन और सनलाइट कंपनी को सौंपी है। इन कंपनियों को हर महीने कूड़ा उठाने के लिए लाखों रूपए का भुगतान किया जाता है। लेकिन इसके बावजूद राजधानी दून में घर-घर कूड़ा उठान की व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है।

पिछले पांच सालों से नगर निगम देहरादून का स्वास्थ्य अनुभाग शासन के साथ ही कोर्ट को भी गुमराह कर रहा था। नगर निगम के स्वास्थ्य अनुभाग के आंकड़ों के मुताबिक दून के सौ वार्डों की जनसंख्या 80,3983 है। जबकि मकानों की संख्या 16,7577 और दुकानों की संख्या 22,600, इंस्टीट्यूट, स्कूल और ऑफिस की संख्या 1,250 के करीब है। नगर निगम ने दावा किा है कि 167577 मकानों में से 159250 मकानों, 21000 दुकानों और 1190 इंस्टीट्यूट, स्कूल और ऑफिस से बीते पांच सालों से नियमित रूप से डोर-टू डोर कूड़ा उठान हो रहा है।

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बता दें कि ये आंकड़ें निगम की ओर से उच्च न्यायालय में लगाए गए एक पीआईएल के दौरान जारी किए गए थे। इन आंकड़ों के मुताबिक ये दावा किया गया था कि राजधानी देहरादून में 94 प्रतिशत से भी ज्यादा घरों से नियमित रूप से डोर-टू-डोर कूड़ा उठान हो रहा है। इसके साथ ही ये दावा भी किया जा रहा था कि देहरादून के 179667 मकानों, दुकानों आदि से सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग आ रहा है।

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नगर निगम का ये दावा तब हवा-हवाई हो गया जब प्रशासिका और जिलाधिकारी सोनिका सिंह के निर्देशों पर दून में डोर-टू-डोर कूड़ा क्लेक्शन का सर्वे कराया गया। सर्वे में सामने आया कि किसी वार्ड में बीस प्रतिशत तो किसी वार्ड में दस प्रतिशत घरों से ही कूड़ा उठान हो रहा है। कुछ ही वार्ड ऐसे हैं जहां पचास प्रतिशत घरों से कूड़ा उठान हो रहा है।

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