उत्तराखंड में मतदान के बाद अब हर एक की जुबान पर यही सवाल है कि आखिर राज्य में किसकी सरकार बनने जा रही है। हर चाक चौराहे पर अब यही चर्चा है कि अगले पांच सालों के लिए इस राज्य पर किस पार्टी के हाथों में शासन होगा। तो आइए समझते हैं कि इस राज्य में आखिर किस पार्टी की सरकार बन सकती है।
उत्तराखंड में इस बार मतदान पिछले विधानसभा चुनावों की ही तरह रहा है। मतदान का ट्रेंड बताता है कि बहुत हद तक राज्य में मतदान का तरीका पिछले विधानसभा चुनावों जैसा है। 2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में राज्य में लगभग 65 फीसदी मतदान हुआ था और इस बार भी 65 फीसदी के आसपास ही मतदान का फीसद है। वहीं 2019 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान भी राज्य में 64 फीसदी के करीब वोट पड़े थे। लिहाजा मतदान के फीसदी के हिसाब से राज्य में कुछ भी नया नहीं हुआ है।
हालांकि महज के फीसदी के हिसाब से कुछ भी आकलन करना इस बार मुश्किल है क्योंकि इस बार राज्य में आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में है। जाहिर है कि इस बार आम आदमी पार्टी भी कुल मतों का कुछ प्रतिशत अपने नाम करेगी। अब ये कितना होगा ये देखना होगा। कम से कम मैदानी इलाकों में आम आदमी पार्टी के मतों का प्रतिशत कई उम्मीदवारों के लिए धड़कने बढ़ाने वाला हो सकता है।
बीजेपी का प्रदर्शन कमतर होगा ?
अब बात सीटों की कर ली जाए। राज्य की मौजूदा विधानसभा में बीजेपी ऐतिहासिक आंकड़े पर है। कुल 57 सीटों पर उसका कब्जा है। वहीं कांग्रेस को 11 सीटें मिली थीं। हालांकि इस बार राजनीतिक जानकार बता रहें हैं कि 57 सीटों का आंकड़ा अब इतिहास ही रहेगा। बीजेपी दोबारा इस प्रदर्शन को दोहरा पाएगी ऐसा नहीं लगता है। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि राज्य में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन की परंपरा बनी रहेगी या टूटेगी?
चुनाव फंस गया है!
राजनीतिक जानकारों के लिए इस बार इस संबंध में कोई भी भविष्यवाणी करना मुश्किल हो रहा है कि लेकिन एक बात सभी कर रहें हैं कि बीजेपी का प्रदर्शन पहले से कमतर रहेगा। और कांग्रेस का प्रदर्शन पहले से बेहतर होगा। हालांकि इसके बावजूद 36 सीटों की मैजिकल फीगर किसके हाथ लगेगा ये कहना मुश्किल हो रहा है।
राजनीतिक पंडितों की माने तो राज्य में विधानसभा चुनाव फंस गया है। दोनों ही बड़ी पार्टियों के पास लगभग बराबर सीटें ही आ रहीं हैं। कुछ जानकारों के मुताबिक एक या दो सीटें निर्दलीय, यूकेडी या आप के खाते में जा सकती हैं। ऐसे में ये एक या दो सीटें राज्य में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।