उत्तराखंड में हेली कनेक्टिविटी को बढ़ाए जाने को लेकर उड़ान योजना के तहत कई प्रमुख स्थानों से हेली सेवाएं संचालित की जा रही हैं।
ताकि पर्यटक और स्थानीय निवासी आसानी से हेली सेवा के माध्यम से सफर कर सकें. इसके अलावा उत्तराखंड सरकार कुछ ऐसे क्षेत्रों को भी चिन्हित कर रही है, जहां से राज्य सरकार अपने स्तर से भी हेलीकॉप्टरों का संचालन कर सके. इससे प्रदेश में फैली कनेक्टिविटी और अधिक मजबूत होगी. इसके साथ ही केदारघाटी में पर्वतीय शैली में मिनी एयरपोर्ट बनाए जाने के डिजाइन पर भी शासन ने सहमति जता दी है.
दरअसल, उड़ान योजना के तहत प्रदेश के चिन्हित अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चिल्याणीसौड़ और गौचर के रूटों पर हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा है।
ऐसे में तमाम ऐसी जगह जहां पर हेली सेवाओं का संचालन किया जा सके, जहां से पर्यटकों को प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में जाने में सहूलियत हो, इसके लिए सरकार हेली कनेक्टिविटी को बढ़ाने का प्रयास कर रही है. लिहाजा, नागरिक उड्डयन विभाग ने कई जिलों के डीएम से प्रस्ताव मांगे थे. इसके बाद अब उड्डयन विभाग, जिलों से प्राप्त प्रस्तावों पर कार्य करने की कवायद में जुट गया है.
वहीं, नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि जिलों से मांगे गए प्रस्ताव के तहत ये वो हेलीपैड और हेलीपोर्ट्स हैं जहां पर अगर उड़ान योजना के तहत हेली सेवाओं का संचालन नहीं हो पाता है तो राज्य सरकार अपने प्रयासों से इन स्थानों पर हेली सेवाओं को शुरू करेगी।
साथ ही, वर्तमान समय में केदारनाथ और बदरीनाथ में उड़ान योजना के तहत हेली सेवाएं संचालित नहीं होती हैं. इसी तर्ज पर अन्य जगहों पर हेली सेवाओं को शुरू किया जाएगा.
केदारनाथ में हवाई सेवाओं को बढ़ाए जाने को लेकर केदारघाटी में मिनी एयरपोर्ट बनाया जाना है. जिसके लिए तैयार किए गए डिजाइन पर उत्तराखंड शासन ने सहमति जता दी है।
केदारघाटी में 30 करोड़ की लागत से बनने वाले मिनी एयरपोर्ट को पर्वतीय शैली में तैयार किया जाएगा. साथ ही इसके टर्मिनल भवन का डिजाइन केदारनाथ धाम की धार्मिक प्रवृत्ति के अनुरूप तैयार किया जाएगा. इसके अतरिक्त, सहस्त्रधारा और मसूरी में हेलीपोर्ट भी बनाए जाने हैं. जिसके लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है.