यात्रियों के लिए बड़ी खबर, आदि कैलाश यात्रा अब भारत में रहकर ही होंगे दर्शन ,सरकार ने कसी कमर

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भुवन ठठोला नैनीताल

धारचूला विदेश मंत्रालय से आदि कैलाश का वीजा बनाकर नेपाल के रास्ते आदि कैलाश के दर्शन करने जाते थे पर अब ऐसा नहीं होगा लोगों को भारत में रहकर ही आदि कैलाश दर्शन हो जाएंगे
इसके लिए सरकार ने कमर कस ली है
भारत चीन सीमा के अंतिम छोर पर स्थित ओल्ड लिपुलेख से कर पाएंगे आदि कैलाश के र्दशन …. बता दे की अभी तक यात्रियों को आदिकैलाश यात्रा के लिए विदेश मंत्रालय से वीजा बनाकर नेपाल के रास्ते चीन पहुंचकर आदि कैलाश की यात्रा करनी पड़ती थी लेकिन अब पुरानी लिपुलेख दर्रे से ही आदिकैलाश के दर्शन कर पाएंगे … धारचूला से पर्यटन विभाग की टीम लिपुलेख की चोटी पर पहुंची तो पर्यटन विभाग की टीम के अधिकारियों को आदि कैलाश पर्वत के मनमोहक दर्शन हुए है ।जिला पर्यटन विभाग की टीम ने नाभीढांग से नौ किमी की वाहन से यात्रा करने के बाद 1.8 किमी की कठिन खड़ी चढ़ाई पार कर पुरानी लिपुलेख की चोटी (18 हजार फीट) पर पहुंचे। चोटी पर पहुंचने के बाद कैलाश पर्वत के मनमोहक दर्शन हुए। उन्होंने चोटी पर बहुत तेज हवाएं चलने की बात भी बताई। उन्होंने बताया कि पैदल मार्ग ठीक करने बाद यात्रियों को यात्रा करने में कोई परेशानी नहीं होगी।

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एसडीएम धारचूला दिवेश शाशनी ने बताया की सचिव पर्यटन के निर्देश पर संयुक्त टीम ने लिपुलेख, ओम पर्वत और आदि कैलाश तक का निरीक्षण किया। शीघ्र ही संयुक्त रिपोर्ट तैयार कर पर्यटन विभाग को भेजी जाएगी, जिससे धारचूला के पुरानी लिपुलेख की चोटी से ही आदिकैलाश पर्वत के दर्शन कराए जायेंगे जिससे धारचूला में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। स्थानीय लोगों ने सरकार की इस पहल की सराहना की है। उन्होंने कहा कि ज्योलिकांग से 20 से 25 किमी पैदल यात्रा कर लिंपियाधुरा की चोटी से भी बड़ा कैलाश पर्वत के दर्शन होते हैं। उनका कहना है कि सरकार को पुरानी लिपुलेख चोटी और लिंपियाधुरा दोनों मार्ग विकसित कर यात्रा शुरू करनी चाहिए। इससे शिव भक्तों को भारतीय सीमा से ही बड़े कैलाश पर्वत के दर्शन हो जाया करेंगे। साथ ही व्यास घाटी में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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