पंतनगर किसान मेला) पहले ही दिन बिके 36 लाख के बीज. राज्यपाल ने किया उद्घाटन।।

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पंतनगर-: विश्वविद्यालय के 114वें अखिल भारतीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन आज मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित महामहिम राज्यपाल उत्तराखण्ड ले. जनरल गुरमीत सिंह द्वारा फीता काटकर किया गया। । मेले के उद्घाटन के पश्चात कुलपति, डा. मनमोहन सिंह चैहान द्वारा महामहिम राज्यपाल को मेले में लगी उद्यान प्रदर्शनी तथा विश्वविद्यालय द्वारा लगी विभिन्न प्रदर्शनियां के स्टालों का अवलोकन कराया
मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय में आयोजित किसान मेले में आकर बड़ा हर्ष हुआ, जिसमें विद्यार्थियों द्वारा माॅडल के माध्यम से कृषि तकनीकों, ए.आई., जलवायु तकनीक के नवाचार को प्रस्तुत किया है जोकि एक प्रसंषनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि हमें एकजुटता के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए। आज हर्ष का दिन इसलिए भी है कि विष्वविद्यालय में किसानों एवं वैज्ञानिकों को उनके उत्कृष्ट तकनीकों के लिए सम्मानित किया गया है। उन्होंने कहा कि बीज के उत्पादन में क्रांति लाने की आवश्यक्ता है। किसान मेले में उत्तराखण्ड की स्वयं सहायता महिलाओं द्वारा पैकिंग की गुणवत्ता बहुत ही अच्छे ढंग से की गयी है जोकि एक सराहनीय कार्य है। उन्होंने आने वाला समय महिलाओं और बेटियों का बताया। खाद्य के क्षेत्र में विष्वविद्यालय की भूमिका रही है। विष्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने नवाचार, नयी प्रजातियों, तकनीकों कोे किसानों तक मुहैय्या कराया है जिससे किसान उन तकनीकों को उपयोग में लाकर अपनी आय में वृद्वि कर रहें है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय पूर्व में आईसीएआर द्वारा तीन बार सरदार बल्लभ भाई उत्कृष्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया है और आशा करता हूँ कि अगले साल यह अवार्ड पुनः प्राप्त हो। उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को चुनौती दी की 100 कि.ग्रा. से अधिक का सीताफल विश्वविद्यालय में उगाया जाये। माननीय प्रधानमंत्री जी की मुहिम अन्तर्राष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष 2023 को 72 देशों में श्रीअन्न के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होने मिलेट को प्रभुु के भोजन का आर्शिवाद बताया। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज में पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है जिससे हमारा शरीर रोगमुक्त हो जाता है। उन्होंने बीज के क्षेत्र में क्रांति लाने की आवष्यकता पर बल दिया तथा नवीनतम तकनीकों को किसानो तक पहुंचाने का आह्वान किया।
श्री राजपाल सिंह ने कहा कि विष्वविद्यालय में शोध की आवष्यकता है क्योंकि आने वाले समय में पानी की किल्लत होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि जिस तरह मृदा में रासायनिक उर्वरक, यूरिया आदि का उपयोग हो रहा है जिससे पानी का स्तर घटता जा रहा है। उन्होंने कहा कि लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने की बात कही।
कार्यक्रम में कुलपति डा. मनमोहन सिंह चैहान ने कहा कि 114वें किसान मेले में अब तक 450 स्टाल लगाये जा चुके है और रू. 36 लाख की आय हुई है जोकि अब तक का रिकार्ड है। देश में 33 करोड टन अनाज पैदा हो रहा है जो देष की 140 करोड की जनसंख्या का पेट भर रहा है। यह सब वैज्ञानिकों एवं किसानों के सहयोग से हो पाया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष दलहन में विष्वविद्यालय में 7 प्रजातियां विकसित की गयी हैं, जो कुल मिलाकर अब तक विभिन्न फसलों की 252 प्रजातियां विकसित हुई हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि नवीन तकनीकों को विकसित करने की आवश्यक्ता है। उन्होंने सभी से सहयोग करने का आह्वान किया।

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