नैनीताल।
गोला में अवैध रूप से हो रहे खनन व इलेक्ट्रॉनिक कांटों की बजाय मैनुअल तरीके से माप शुरू करके और मात्रा के आधार पर आरबीएम का आकलन करके
खनन करने से पर्यावरण को हो रहे नुकसान व अवैध खनन को बढ़ावा व खनन लॉबी व क्रेशरो को अनैतिक लाभ पहुचाने के संदर्भ में हल्दुचौड़ निवासी पीयूष जोशी द्वारा दायर जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय नैनीताल ने शुक्रवार को गंभीरता से सुना व इस दौरान न्यायाधीश विवेक भारती शर्मा ने वन विकास निगम व अन्य
पक्षकारो से दो टुक शब्दों में पूछा कि जब केंद्र की खनन नीतियों व अन्य नियमों में स्पष्ट रूप में इलेक्ट्रॉनिक कांटे लगाने व सीसीटीवी के जरिए मॉनिटरिंग का स्पष्ट उल्लेख है तो वर्तमान में इंच टेप से घणमीटर के आधार पर किया जा रहा खनन किस नियम के तहत किया जा रहा है।
इस संबंध में कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार व समस्त पक्षों को नोटिस जारी कर 4 जनवरी तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है ।
उक्त मामले में याचिका करता हल्दुचौड़ निवासी समाजसेवी पीयूष जोशी द्वारा कहा गया था कि खनन स्थलों से खरीदी जा रही नदी तल सामग्री (आरबीएम) के लिए इलेक्ट्रॉनिक वजन माप को हटाकर अवैध खनन की अनुमति देना गलत है। निगम इसके बजाय मैन्युअल माप शुरू करके और मात्रा के आधार पर आरबीएम का आकलन करके खनन पट्टे की शर्तों, केंद्रीय दिशानिर्देशों, उत्तराखंड के खनिज रियायत नियमों, उच्च न्यायालय न्यायालय के निर्देशों और विभिन्न नियमों और विनियमों की पूरी तरह से अवहेलना कर रहा है जो आरबीएम के मैन्युअल माप पर रोक लगाते हैं।
याचिकाकर्ता ने उत्तराखंड के खनन विभाग के द्वारा जारी विभागीय संचार को भी चुनौती दी है ।साथ ही कहा की सरकार व निगम का यह कृत्य अवैध खनन को बढ़ावा दे रहा है और प्राकृतिक संसाधनों का अवैज्ञानिक तरीके से खनन किया जा रहा है, जिससे न केवल पारिस्थितिकी को नुकसान हो रहा है, बल्कि राज्य को भारी राजस्व हानि भी हो रही है।
साथ हि खनन लॉबी के व्यावसायिक हित को पूरा करने के लिए, खनिज ले जाने वाले वाहनों में ओवरलोडिंग के साथ-साथ यात्रियों के जीवन को खतरे में डाला जा रहा है, जो अधिकतम आरबीएम को इलेक्ट्रॉनिक वेट ब्रिज और राज्य द्वारा आक्षेपित अनुमतियों के माध्यम से मापे बिना निकालना चाहता है।
निकाले गए खनिज को मैन्युअल रूप से मापने के लिए, यहां तक कि कानून के साथ-साथ न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों का भी उल्लंघन करने का साहस किया है और वास्तविक वजन माप के बिना आरबीएम के परिवहन की अनुमति दी है और इस प्रकार वाहनों में ओवरलोडिंग और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन की अनुमति दी है।
वन विकास निगम जिला नैनीताल की तहसील हलद्वानी एवं लालकुआं से होकर बहने वाली गौला नदी तथा रामनगर की कोसी नदी तथा चोरगलिया की नंधौर एवं कैलाश नदी में आरबीएम का खनन करता है। खनन स्थलों के नदी तल से, खोदे गए आरबीएम को डंपरों और ट्रकों के माध्यम से बोल्डर को कुचलने के लिए स्टोन क्रशर तक ले जाया जाता है और चूंकि अधिकांश स्टोन क्रशर तहसील लालकुआं और हलद्वानी के गांवों के अंदर स्थित हैं, इसलिए सभी गांव की सड़कों का उपयोग किया जाता है। आरबीएम के परिवहन से गड्ढे बन जाते हैं और ये सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और आम यात्रियों की दुर्घटनाएं होती हैं।इस पर याचिकाकर्ता ने तत्काल न्यायालय से दखल देने व अवैध खनन रुकवाने की मांग की है।
मामले की अगली सुनवाई 4 जनवरी को होगी।